भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जब पूछ लिया उनसे / शेरजंग गर्ग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब पूछ लिया उनसे कि किस बात का डर है?
कहने लगे ऐसे ही सवालात का डर है।

हर चीज़ में बिगड़े हुए अनुपात का डर है,
फ़ौलाद की औलाद में ज़ज़्बात का डर है।

यह रास्ता बेवास्ता, वह वास्ता बेरास्ता,
रिश्तों में यहाँ खुद से मुलाकात का दर है।

है ख़ास ख़बर आज की हो जाओ ख़बरदार,
क़ाग़ज़ पर सुधरते हुए हालात का डर है।

हाँ, न्याय का विषपान तो करना ही पड़ेगा,
एथेंस के हज़रात को सुकरात का डर है।