भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जब भी दिल ने दिल को सदा दी / निदा फ़ाज़ली

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब भी दिल ने दिल को सदा दी
सन्नाटों में आग लगा दी...

मिट्टी तेरी, पानी तेरा
जैसी चाही शक्ल बना दी

छोटा लगता था अफ्साना
मैंने तेरी बात बढ़ा दी