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जब भी दिल ने दिल को सदा दी / निदा फ़ाज़ली
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जब भी दिल ने दिल को सदा दी
सन्नाटों में आग लगा दी...
मिट्टी तेरी, पानी तेरा
जैसी चाही शक्ल बना दी
छोटा लगता था अफ्साना
मैंने तेरी बात बढ़ा दी