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जब वहम उसका यकीं बन जायेगा / अश्वनी शर्मा


जब वहम उसका यकीं बन जायेगा
वो कमां सा बेवज़ह तन जायेगा।

चार पांस वक्त के सीधे पड़े
आदमी से वो ख़ुदा बन जायेगा।

आदमी फौलाद सा दिखने लगे
गर मुकाबिल हौसला ठन जायेगा।

बाप शामिल हो गया है दौड़ में
देखिये बच्चे का बचपन जायेगा।

एक कीचड़, एक काजल कोठरी
आज़मा लो, सर तलक सन जायेगा।

हांडियों में आज़मा कर देख लो
सब शरिफों का बड़प्पन जायेगा।