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जब वह आते हैं / निदा फ़ाज़ली
Kavita Kosh से
सुन रे पीपल! तेरे पत्ते शोर मचाते हैं
जब वह आते हैं
पहला-पहला प्यार हमारा, हम डर जाते हैं
तेरी बाँहों में झूमी पुरवाई
मैं कब बोली
जब जब बरखा आई तूने खेली
आँख-मिचौली
ऐसी-वैसी बातों को कब मुख पर लाते हैं
सुन रे पीपल! तेरे पत्ते शोर मचाते हैं
जब वह आते हैं
निर्धन के घर में पैदा होना है
जीवन खोना
सूनी माँग सजाने वाले माँगें
चाँदी-सोना
हमसाए ही हमसायों के राज़ छिपाते हैं
सुन रे पीपल! तेरे पत्ते शोर मचाते हैं
जब वह आते हैं