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जमींदारां के बालक सा हम खूब नजारे लिया करां / विरेन सांवङिया

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जमींदारां के बालक सा हम खूब नजारे लिया करां।
म्हारे खेत म्ह चाल दिखाऊं क्यूकर पाणी दिया करां॥

जाणूँ सू तू ठाढा सै पर मेरा नाजुक गात ना।
चालूंगी तेरी गैल पर मेरै लाइए हाथ ना।
मेहमान नवाजी करा करां हम म्हारी माङी जात ना।
बेअकली सी बात करै तू तनै किमे सोची आत ना।
नीची होवै निगाह रै जिस तै हम इसा काम ना किया करां॥

फर-फर, फर-फर उड औढणी मेरी पायल सैं छमकै।
झोटा बग्गी म्ह चालां जै थारा झोटा ना चमकै।
किसे बात की फिकर करै ना तु बैठिए जम कै।
हाल तेरै ना लागण दूँ मै कति चालूँ थम थम कै।
वो कुआ दिखाऊँ चाल तनै हम जिसका पाणी पिया करां॥

घूमण का सै शौक मनै मैं सूँ छौरी जाट की।
तेरी गेल्या देखण आई थारी जिंदगी ठाट की।
छाँह गहरी सै सिसम की धरा एक हुक्का, माटकी।
छान म्हारी म्ह बैठिए जङै जगहाँ दो खाट की।
खेती म्ह सब शौक म्हारे हम इस्से गेल्या जिया करां॥

बात तेरे तै कह दूँ दिल की जो समझै खास सी।
ट्यूबल पै मनै नहाणा सै मेरै जग री आस सी।
मूराद तेरी या पूरी कर दूँ मैं तेरे रहूगाँ पास सी
पर मेरे तै ना शरमाईये कदे होज्या लाह्स सी।
चाल मिलाऊं सांवङिया तै हम जिसके चर्चे किया करां॥