जय अष्टादशभुजाधारिणी / हनुमानप्रसाद पोद्दार

(राग सोरठ-ताल त्रिताल)

जय अष्टदशभुजाधारिणी प्रति कर प्रहरणधारिणि जय।
 जय सर्वान्ग-‌आभरणधारिणि सुन्दर त्रिनयनधारिणि जय॥
 जय सुविशाल सिंह-‌आरोहिणि राक्षसदल-संहारिणि जय।
 जय भीषण भवभीति-निवारिणि निज-जन-संकटहारिणि जय॥
 जय दुर्गे मोहार्णवतारिणि परम सुमंगलकारिणि जय॥

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.