जाँच अभी जारी है / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा
उस सुबह
शाम हो गयी थी
दिन में ही रात हो गयी थी
उस दिन मैं ही नहीं
मेरे साथ 224 जने और मरे थे
कहते हैं ऐसी मौत पहले कभी नहीं देखी
कि जिसमें एक के ऊपर एक
अनाज के बोरों की तरह सब युवा दब गए
एक बार जो गिरा वो उठ ही न सका
किले के विशाल प्रांगण में कुछ ही पलों में
चामुण्डा के भक्तों का दम घुट गया
रूक गयी थी सबकी साँसें
नहीं रुका तो बस मौत का तांडव
सबसे पहले मैं गिरा
मुझ पर संपत उस पर मंगल फिर मानाराम
उसके ऊपर शांताराम फिर गणेशिया फिर...
फिर मुझे पता नहीं, क्योंकि फिर मैं था ही कहाँ, मैं तो लाश था
यह राजाराम मेघवाल की नरबलि की तरह
चामुण्डा ने किले की सुरक्षा के लिए
क्रूर नरबलि ली थी या ये सब स्वाभाविक था
जाँचच अभी जारी है...
30 सितम्बर 2008 को जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में स्थित चामुण्डा देवी के दर्शन करने आए 224 लोग एक हादसे में दम घुटने से मर गए।
राजाराम मेघवाल: आज से लगभग 557 बरस पूर्व मेहरानगढ़ किले के स्थायित्व तथा शुभ शकुनों के लिए किले की नींव में राजाराम मेघवाल नामक युवक को जिन्दा चुन दिया गया था।