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जाना पहचाना हुआ मंज़र नज़र आने लगा / मेहर गेरा

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जाना पहचाना हुआ मंज़र नज़र आने लगा
फिर वही कूचा वो घर वो दर नज़र आने लगा

दूर होकर और भी कुछ हो गया मेरे क़रीब
वो बिछुड़कर भी मुझे अक्सर नज़र आने लगा

जो नज़र आया न पल दो पल कभी बाहर मुझे
शौक़ की शिद्दत में वो अंदर नज़र आने लगा

ग़ालिबन मौसम बदलने के यही आसार हैं
इक अनोखा रंग पेड़ों पर नज़र आने लगा।