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जाली नोट / जयराम दरवेशपुरी
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तोर एक्कक बात
ओल सन कुलकुला हे
आउ एने हमर जनाजा निकल जाहे
न´ सूतल रहऽ ही
न´ बइठ के खाही
तू कउन धातु के
ढलल हें भयवा
आह से सुनऽ ही पथरो पिघल जाहे
अदमी जे सब दिन
अदमियें के सतइलक
पर्दा के आड़ में
सब करम कइलक
दुखिया के दिन जोरी सन अइंठल जाहे
डर तऽ हल लगल
गुंडा चोर सइतान के
जुआरी लफंगा
धइल बइमान के
ई अंधेर, जाली नोट चल जाहे।