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जितनी संख्या थारी उतणी ऐ हिस्सेदारी / अमर सिंह छाछिया

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जितनी संख्या थारी उतणी ऐ हिस्सेदारी।
जिसकै खेत न क्यारी उसनै मिलै नौकरी सरकारी।...टेक

गरीब विचारे रह सरकी म्हं मौसम सारी बितावै।
खा ज्या डंकी चमासे म्हं ना नींद रात नै आवै।
पड़ै आग या जेठ म्हं गर्मी घणा सतावै।
माह-पो म्हं पड़दा पाला यो होन्दा कट्ठा आवै।
मोहर हाथी पै लाइयो या सुणैया थारी...

इन सरकार नै तो यो जूत ए बजाया सै।
बी.एस.पी. नै तो समर्थन सबका चाया सै।
भाई-भाई सभी एक हंसकै हाथ मिलाया सै।
बोलै जिब खिलै फूल सा जी सा आया सै।
इस मिठी जबान नै बणाया सै होई जीत या थारी...

ले कै वोट बदल जा आंख इनकै भीतर म्हं काला सै।
दिन धोली म्हं करै बेज्जती गुंडां का गाला सै।
फिरगी लहर यो सारा शहर जोर लारा सै।
जिन्दगी म्हं इलेक्शन लड़ै नहीं यो जमानत तै हारा सै।
नारा भीम का लाया सै जम बोलै जनता सारी।

इबकै इलेक्शन म्हं यो तोड़ होवैगा।
होवै शौक विरोधियां कै यो भीतर बड़ कै रोवैगा।
किसे कै होवै हाट-अटेक कोए पागल होवैगा।
प्रधानमंत्री तो ब.स.पा. का ऐ आवैगा।
अमरसिंह थाम कर लो पूरे या बी.एस.पी. आरी...