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जिन्हें शराब ज़ुरूरी है शाइरी के लिए / संजय चतुर्वेदी

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जिन्हें शराब ज़ुरूरी है शायरी के लिए
वो क्या करेंगे मियाँ फ़िक्र आदमी के लिए

वो क्या कहेंगे मियाँ फ़र्ज़ की वकालत में
जिन्हें ख़याल नहीं कोई ज़िन्दगी के लिए

जो घर पे जागते बच्चों को भूल जाते हैं
ज़ुबांदराज़ ज़ियांकार तिशनगी के लिए

किसी को शौक़ कहीं ऐब कोई बेहिस है
बघारते हैं सरोकार हर किसी के लिए

शराब छोड़ दो मालिक बहुत ख़राब हुए
बचा लो थोड़ी बहुत रोज़-ए-आख़िरी के लिए

(1991)