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उर्दू है जिसका नाम हमीं भूल गए हैं / संजय चतुर्वेदी
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उर्दू है जिसका नाम हमीं भूल गए हैं
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रचनाकार | संजय चतुर्वेदी |
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प्रकाशक | |
वर्ष | 2017 |
भाषा | हिन्दी-उर्दू |
विषय | |
विधा | |
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ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- ताजमहल / संजय चतुर्वेदी
- उस्ताद गए फिर वो असासा चला गया / संजय चतुर्वेदी
- बड़ी बड़ी लगे यहाँ सबू की चाल बाउजी / संजय चतुर्वेदी
- अक़्लमन्दी को ज़ाविया कहना / संजय चतुर्वेदी
- लेनिन से ऊँचा है लालू दानिश वाले ग़ौर करें / संजय चतुर्वेदी
- बेबस हूँ मैं मजबूर हूँ अल्ला मेरे आगे / संजय चतुर्वेदी
- आँसूराम कोतवाल / संजय चतुर्वेदी
- जिन्हें शराब ज़ुरूरी है शाइरी के लिए / संजय चतुर्वेदी
- अब इन्क़लाब को आवाम से डर लगता है / संजय चतुर्वेदी
- ये अच्छा कारनामा है शहर भी ठीक है भइये / संजय चतुर्वेदी
- हम नहीं तो हम सा कोई दूसरा चलता रहे / संजय चतुर्वेदी
- शब को इल्हाम सवेरों को मसीहाई दे / संजय चतुर्वेदी
- बज़्म-ए-इशरत में चराग़-ए-रुख़-ए-ज़ेबा लेकर / संजय चतुर्वेदी
- बुत सनमख़ानों में बैठे रहे जल्वा लेकर / संजय चतुर्वेदी
- जो सच बोले उसे ख़ुदा का सबसे बड़ा वकील समझना / संजय चतुर्वेदी
- ज़िक़्र-ए-ख़ुदा के साथ में फ़िक़्र-ए-ख़ुदा रहे / संजय चतुर्वेदी
- दानिश है अगर कुफ़्र हिफ़ाज़त ख़ुदा करे / संजय चतुर्वेदी
- जो भी तेरे ख़याल में सदक़ा अली का है / संजय चतुर्वेदी
- ऐसे बेइन्सान शहर को वीरानी दे मौला / संजय चतुर्वेदी
- रोज़े महशर किताब पूछेगी / संजय चतुर्वेदी
- ये तो इस क़ौम की तमीज़ रही / संजय चतुर्वेदी
- ग़नीमत ख़त्म होती जा रही है / संजय चतुर्वेदी
- सुख़न मुश्ताक़ है ये क़ौम / संजय चतुर्वेदी
- दैरों में गुनाहों की तरह / संजय चतुर्वेदी
- सच में जो झूठ है जादू की तरह मिलता है / संजय चतुर्वेदी
- अब सुख़नबाज़ हैं सिफ़त न रही / संजय चतुर्वेदी
- अगर खोल दे दानिशवर हर बस्ती में स्कूल मियाँ / संजय चतुर्वेदी
- न एैश में डर है कुछ ख़ुदा का / संजय चतुर्वेदी
- इंसां थे उसी क़द के बराबर बने रहे / संजय चतुर्वेदी
- कुछ चेपियाँ कुछ कतरनें / संजय चतुर्वेदी
- वर्गयुद्ध से शुरू किया आतंकवाद तक आ पँहुचे / संजय चतुर्वेदी
- कुछ कॉमरेड ताव में मैडम के साथ हैं / संजय चतुर्वेदी
- सयानी रवायत का बम चल रिया है / संजय चतुर्वेदी
- जिसपे चाहे धरे तमंचा जिसको चाहे उठवा ले / संजय चतुर्वेदी
- फ़्रॉड में मक्कार लोगों के हरारत आएगी / संजय चतुर्वेदी
- महलों में आरक्षण से क्या हासिल होगा / संजय चतुर्वेदी
- भगत सिंह का फ़ोटो दिखाए मदारी / संजय चतुर्वेदी
- फ़ंड की जब गुफ़्तगू होने लगी / संजय चतुर्वेदी
- दिल खुले झाड़ू खुली टोपी खुली मफ़लर खुला / संजय चतुर्वेदी
- ई०वी०एम० की गड़बड़ सै / संजय चतुर्वेदी
- मर्सियाँख़्वाँ आसमाँ इस दौर का रंगीन था / संजय चतुर्वेदी
- शायरी आबाद हो लेकिन दख़ल जाता रहे / संजय चतुर्वेदी
- यूँ समझिए वो सुख़नवर न हुआ / संजय चतुर्वेदी
- विरसे में हमें कुछ गीत मिले उनको ही नया लिखते हैं / संजय चतुर्वेदी
- इसी तज़ाद में वहशी किताब तक पँहुचे / संजय चतुर्वेदी
- काफ़िरों में बड़े मियाँ होंगे / संजय चतुर्वेदी
- अब ज़ईफ़ी में कोई पानी को पूछेगा नहीं / संजय चतुर्वेदी
- देख तो आदम तेरी उम्मत का मुस्तक़बिल है क्या / संजय चतुर्वेदी
- क्या करामात है धरती पे जो फैला पानी / संजय चतुर्वेदी
- काम शैतां का करो आती है बू ईमान की / संजय चतुर्वेदी
- ये नूर उतरेगा आख़िर ग़ुरूर उतरेगा / संजय चतुर्वेदी