भारत की बर्बादी तक
वहाबी इन्क़लाबी है असर भी ठीक है, भइये
नज़र भी काँइयाँ वाली बहर भी ठीक है, भइये
लगा अख़बार से स्टूडियो तक सोख़्ता सामाँ
सदर में ढोल-ढपली का ग़दर भी ठीक है, भइये
कबू झटका लगा कैड़ा वहीं बोतल चली आई
नको गर्दन में कोई ख़म कमर भी ठीक है, भइये
इदारों में वज़ीफ़ों की हमेशा आबयारी थी
इसी फ़न में शहादत का हुनर भी ठीक है, भइये
न कोई दीन है दहशत का ये तो मुस्तनद हक़ है
ज़हन में क़त्ल-ओ-ग़ारत की लहर भी ठीक है, भइये
ये बच्चे दूसरों के हैं, इन्हीं को आग में डालो
इन्हें चम्पू बनाने की उमर भी ठीक है, भइये
सुना है आपने दिल्ली में ठोका है अलम अपना
ये अच्छा कारनामा है शहर भी ठीक है, भइये
(2017)