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जीऊँ / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा

मुझे देखते ही बच्चों को भूख लग जाती है
पति को बिस्तर की याद आ जाती है

सास की चीनी बढ़ जाती है
ससुर की घट जाती है

ननद को चाय की तलब लग जाती है
देवर को मेरे हाथ की चटनी भाती है

सब मुझसे कुछ न कुछ चाहते हैं
कोई नहीं जानता कि मैं क्या चाहती हूँ