पिछली बार दादाजी कड़क शब्दों में कह रहे थे
धूप-हवा-आग-पानी-हरियाली सब चाहिए
इंसान को इंसान चाहिए
इस जीवन में जीवन के लिए
पर अब के
मौत का दरवाज़ा खटखटाते हुए मरी हुई आवाज़ में
कह रहे थे दादाजी
बिटिया, अब तो सिर्फ और सिर्फ साँसें चाहिए
इस जीवन में जीवन के लिए