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जैंता एक दिन तो आएगा / गिरीश चंद्र तिबाडी 'गिर्दा'
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जैंता एक दिन तो आएगा
इतनी उदास मत हो
सर घुटने मे मत टेक जैंता
आएगा, वो दिन अवश्य आएगा एक दिन
जब यह काली रात ढलेगी
पौ फटेगी, चिडिया चहकेगी
वो दिन आएगा, ज़रूर आएगा
जब चौर नही फलेंगे
नही चलेगा जबरन किसी का ज़ोर
वो दिन आएगा, जरूर आएगा
जब छोटा- बड़ा नही रहेगा
तेरा-मेरा नही रहेगा
वो दिन आएगा
चाहे हम न ला सके
चाहे तुम न ला सको
मगर लाएगा, कोई न कोई तो लाएगा
वो दिन आएगा
उस दिन हम होंगे तो नही
पर हम होंगे ही उसी दिन
जैंता ! वो जो दिन आएगा एक दिन इस दुनिया मे
ज़रूर आएगा ।