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जैसे वो पंचतत्व में विलीन हो गये / डी. एम. मिश्र

जैसे वो पंचतत्व में विलीन हो गये
उनके हरेक शेर बेहतरीन हो गये

जब वो हमारे साथ थे तो दो टके के थे
अब जब नहीं हैं वो तो नामचीन हो गये

जीने के लिए दोस्तो मरना भी पड़े है
ज्यों ही गये वो कब्र में ज़हीन हो गये

जब से सुना कि शायरों को शाल भी मिले
तब से वो शायरी के भी शौक़ीन हो गये

ऐसी हवा चली कि कुछ न पूछिये जनाब
चेहरे जो थे उदास वो रंगीन हो गये