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जो तिलक हाथी कै लावैगा / अमर सिंह छाछिया

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जो तिलक हाथी कै लावैगा वो सीधा बी.एस.पी. म्हं जावैगा।
जो टक्कर म्हं आवैगा वो हल्का भी छोड़ जावैगा।...टेक

इस म्हं कोऐ चूक नहीं बहुमत फुल आवैगा।
जैसे अंग्रेज गये भारत तै तैं भी न्यूऐ जावैगा।
किसे कै होवै हाट-अटेक कोऐ पागल होवैगा।
तेरी इलेक्शन म्हं होवै हार ना जीत कै आवैगा।
तेरी जमानत भी बचै नहीं तूं खड़ा ऐ लखावैगा...

ये मांगैं वोट मारो सोट कर दो इनकी मंजाई।
मामा फूफी की या सरकार घर की इननै बणाई।
सबका अधिकार राज म्हं इनकै के या सगाई।
इबकै समन कटा द्यांगे या पार्टी कांशीराम की आई।
इसका हाल इसा ऐ होवैगा यो हफ्ता मुश्कल लेवैगा...

अत्याचारी ये अन्याई इननै जुल्म कराया सै।
1600 के भा गये गेहूं यो गरीब मारा सै।
जाति तोड़ो समाज जोड़ो यो नारा लाया सै।
इबकै लो रमान्ड इनका सबका एक ईशारा सै।
इसकै मर्ज इसी ऐ बैठगी यो गोली ए खावैगा...

इबकै तो देश सारे म्हं लहर ए फिरगी।
विरोधियां के देखदिये नाग सी लड़गी।
बी.एस.पी. आवै उस बी.जे.पी. कै जंचगी।
तनै कांग्रेस बक्शैं कोन्या तैं हाथी कै फंसगी।
अमरसिंह यो बड़सी का बैठ्या हाथी पै आवैगा...