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जो तेगे निगाह वह चढ़ाए हुए हैं / प्रेमघन
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जो तेगे निगाह वह चढ़ाए हुए हैं,
यहाँ हम भी गरदन झुकाए हुए हैं।
इन्हीं शोला रूओं ने शेखी सितम से,
जलों के जले दिल जलाए हुए हैं।
नए फूल की मुझको हाजत नहीं है,
यहाँ रंग अपना जमाए हुए हैं।
यही हजरते दिल के हैं लेने वाले,
जो भोली-सी सूरत बनाए हुए हैं।
नहीं दाग मिस्सी का लाले लबों पर,
ये याकूत में नीलम जड़ाए हुए हैं।
डरूँगा न मैं घूरने से सितमगर,
हसीनों से आँखें लड़ाए हुए हैं।