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जो दिल को लुभाये वो ग़ज़ल पेश कर गया / रंजना वर्मा
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जो दिल को लुभाये वो ग़ज़ल पेश कर गया
उम्मीद का एक ताजमहल पेश कर गया
मासूम बहुत खूब हैं ये दिल की हसरतें
इन के लिये वो राजमहल पेश कर गया
आँखों ने जो पैग़ाम दिया दिल ने पा लिया
ख्वाबों का एक रंगमहल पेश कर गया
हर सिम्त हैं बिखरी हुई तेरी नवाजिशें
वो आ के तुम्हें लाल कमल पेश कर गया
बेताब बिजलियाँ भी हैं टूटे तो कहाँ पर
खुद सामने वो अपना महल पेश कर गया
इतनी मुसीबतें हैं परेशानियाँ भी हैं
मुश्किल सभी सवालों का हल पेश कर गया
दहकी है कहीं आग धुआं है कहीं उठा
दिल तोड़ने वाला ये शग़ल पेश कर गया