भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जौं लौं जीवै तौं लौं हरि भजु / हरिदास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जौं लौं जीवै तौं लौं हरि भजु, और बात सब बादि।
दिवस चारि को हला भला, तू कहा लेइगो लादि॥
मायामद, गुनमद, जोबनमद, भूल्यो नगर बिबादि।
कहि 'हरिदास लोभ चरपट भयो, काहे की लागै फिरादि॥