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झलसे और रेलियां म्हं अन्दाजा आवै सै / अमर सिंह छाछिया

झलसे और रेलियां म्हं अन्दाजा आवै सै।
जिसकी हो सरकार या तो हवा बतावै सै।...टेक

रिश्वतखोरी या भी होरी ये गोज आपणी डाटै।
जिसका ब्योत नहीं देण का उसे नै ये नाटै।
नम्बरां म्हं भी लिया पाछै, फेर भी उसनै काडै।
सबतै घणी रान्द नै इनके ये चमचे काटै।
ये छुरी हाथ म्हं राखै या सीधी गल पै आवै सै...

मनमानी करै आपकी या थोड़े दिन ला ले।
रिश्तेदार और घरक्यां नै उन आगै ला ले।
अत्याचार वो अन्याई उन नै छाती कै ला ले।
इसे बात के ऊपर दंगल तेरा भी इबे पाट ले।
और क्यां नै धरती काटै दुनिया बदलती आवै सै...

बेरोजगार फिरै आवारे कितणे धक्के खारे।
झूठ हो तो बुझो इन नै ये भी उरै आरे।
काम करै नै रह चक्कर म्हं घर के भी तंग पारे।
जय भीम और जय भारत के ये भी नारे लारे।
और जोर इतणा लारे सब कुछ सेती आवै सै...

बहुजन समाज पार्टी तो जीतती आवै सै।
कांशीराम यो भारत का गुण इसके गावै सै।
पब्लिक तो इस नै बोहत घणा चावै सै।
अमरसिंह बड़सी आला इसके भजन बणावै सै।
और यो दंगल म्हं गावै सै जिब जी सा आवै सै...