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झूठ की राह पर मत चलो तुम / रंजना वर्मा
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झूठ की राह पर मत चलो तुम
सत्य की छांव में ही पलो तुम
साथ देता नहीं ग़र जमाना
मुख पे' नवनीत क्योंकर मलो तुम
है समय तो सभी का बदलता
साथ मे वक्त के ही ढलो तुम
भोर होगी ढलेगी निशा भी
यों न चिंता में हिम से गलो तुम
ठग रहे लोग तुम को भले ही
दूसरों को न लेकिन छलो तुम
राह कांटों भरी है संभलना
व्यर्थ की सोच में मत पलो तुम
जो किया है मिला फल तुम्हे ही
क्यों किसी की नज़र में खलो तुम
आईना है सदा सत्य कहता
लेप चन्दन का चाहे मलो तुम
पथ दिखेगा तुम्हे भी सभी को
दीप बन कर अगरचे जलो तुम