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झूम के जब रिंदों ने पिला दी / 'कैफ़' भोपाली
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झूम के जब रिंदों ने पिला दी
शैख़ ने चुपके चुपके दुआ दी
एक कमी थी ताज महल में
मैं ने तेरी तस्वीर लगा दी
आप ने झूठा वादा कर के
आज हमारी उम्र बढ़ा दी
हाए ये उन का तर्ज-ए-मोहब्बत
आँख से बस इक बूँद गिरा दी