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टस-टस आँसू टपकै जेवर तारण लगी नार / दयाचंद मायना

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टस-टस आँसू टपकै जेवर तारण लगी नार
उड़गे होस आकाश नै जी...टेक

यो बाजूबंद धड़वा कै, मेरे भाई नै दिया था
हथकंगण, हथफूल मेरी भोजाई नै दिया था
हँसला सै चाची का, झालरा ताई नै दिया था
यो कणी, मणी मैं जड़ा हुआ, मेरी माई नै दिया था
ले जाओ जी मेरा नौ लखा हार, जाकै दियो मेरी सास नै जी...

यो चोला चून्नी मेरा मामा जी लाया था
इन लत्तां नै देखण खातिर भोहत मुल्क आया था
मैं ओढ़ पहर कै लिकड़ी जब रंग फेरां पै छाया था
हँस कै नै पहरे, रही रो रो कै तार, पिहर के मिले लिबास नै जी...

चाचा-ताऊ भाई-बन्द मेरा सब कुछ परिवार खिला था
चाची-ताई, बुआ-बाहण, कुणबे का मेल मिला था
धी बेटी के दान-मान म्हं सबका हाथ चला था
या मोहन माला कण्ठा लो, मेरै कन्यादान घला था
हाथां की चूड़ी, मेरे सुहाग का सिंगार, जाकै दिया उस नास नै जी...

लगा विफत का तीर, खोट कुछ बीर म्हं ना था
ओढ़णा, पहरणा, मेरी तकदीर म्हं ना था
दामण की के बात सीर इस चीर म्हं ना था
मुझ दुखिया का साझा राज जागीर म्हं ना था
कह दयाचन्द रट करतार, वोहे सुणैंगे अरदास नै जी...