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टोकना / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा
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मैं हँसती हूँ तो कहता है
ज्य़ादा मत हँस रोना पड़ेगा
मैं सोती हूँ तो कहता है
सो मत बहुत कुछ खोना पड़ेगा
मैं चलती हूँ तो कहता है
रूक खड़े होना पड़ेगा
मैंने यह सच अब जाना
कि उसका तो काम ही है टोकना और रोकना
और मेरा न रुकना