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ठण्डे लोग / जयप्रकाश मानस
Kavita Kosh से
जो नहीं उठाते जोखिम
जो खड़े नहीं होते तनकर
जो कह नहीं पाते बेलाग बात
जो नहीं बचा पाते धूप-छाँह
यदि तटस्थता यही है
तो सर्वाधिक ख़तरा
तटस्थ लोगों से है
तटस्थ उपाय नहीं ढूँढते
नहीं करते निर्णय
न ही करते कोई विचार
उपाय, निर्णय या विचार
इनके बस का नहीं
ऐसे ही शून्यकाल में
तटस्थ हो जाते हैं कितने निर्मम
कितने दुर्दम
दीखते हैं कितने ख़तरनाक
ख़ुद को शरीफ़ बनाए रखने में
पृथ्वी को ज़्यादा दिनों तक
सुरक्षित नहीं रखा जा सकता