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ढलक रहा है जो दामन उसे सँवार तो लें / रंजना वर्मा
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ढलक रहा है जो दामन उसे सँवार तो ले
मेरे महबूब मुझे इक नज़र निहार तो ले
तेरी यादों के काफ़िले हैं बड़ी दूर तलक
मेरी निगाह का सदका जरा उतार तो ले
कदम न रोक सकेगा कभी तूफान कोई
ऐ मेरे यार तू दिल से मुझे पुकार तो ले
बहुत है दर्द सहा है बड़ी शिद्दत की थकन
ठहर जा देर जरा चमन की बहार तो ले
तेरे जख्मों पे मेर मरहम दूँ जरा सा तो लगा
तेरे माथे को दूँ सहला तू मेरा प्यार तो ले
गुज़र रही है रात करवटें बदलते हुए
जगी नज़र में भरी नींद का खुमार तो ले
तड़प रहा है समन्दर बढ़ी है प्यास बहुत
बुझाये तिश्नगी ऐसी नदी की धार तो ले