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तब नदी थी गोमती / सुनो तथागत / कुमार रवींद्र
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और... हाँ
वह भी समय था
पास थी घर के हमारे गोमती
तब नदी थी गोमती
नाला नहीं थी
नदी-तट पर
कोई मधुशाला नहीं थी
नदी के उस पार
रहते थे उन दिनों जोगी-जती
बीच में तब
नदी टापू पर शिवाला था
नाव-वाला उसी का देता
हवाला था
यह सड़क थी
और इसके पार गूँजती थी आरती
रात चाँदी की नदी थी
सुबह सोने की
बात सच थी
गोमती में पाप धोने की
नदी तारनहार थी
हो गई कल रात उसकी सद्गती