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ताखा पर धर देलक अकल के तिजोरिया / जयराम दरवेशपुरी
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करिखो से करिया
ई करिया अन्हरिया
भरमा रहल हे सब के नजरिया
अदमी अदमियत के
अब कहाँ मोल हे
दामी सिंगार सभे
हियरा से गोल हे
बाहरी आडम्बर में
मन हइ बावरिया
आजादी के पहिलइ
कइलक शरारत दू खुंडी बांटलक
सोना सन भारत केकरो हिया में न´
उठलइ लहरिया
जात-पात में अखनी
मुड़कटउबल हे ठनल
भाय-भाय में हे भारी टन्ठा तनल
लोभ पियास के पियासल बजरिया
अदमी के अदमी अब जित्ते चिबाबऽ हे
अइंटा अउ पत्थर मिल मूड़ी नवाबऽ हे
ताखा पर धर देलक अकिल के तिजोरिया।