ताला टूट लिया, घणा धन लूट लिया / दयाचंद मायना
ताला टूट लिया, घणा धन लूट लिया
रपट लिखो जी सरकार...टेक
तेरे राज म्हं घोर अन्धेरा, डाकू चोर छोड़ रे आन्धी
सेठाणी कै चट्टू मारा, सभी कह सैं लोण्डी बांदी
सच्चा घोटा चीर जरी के, गाँठ सैकड़ा बांधी
नकद कैश का जिकर करूं के, बोहत ूटा सै सोना-चांदी
कई मण ल्याए सै, बोहत धन ल्याए सै, जो रात गए थे पहरेदार,
ताला टूट लिया...
पाड़ देख कै सब घबरागे, असनाई प्यारे गोती-नाती
लेखे आली बही फूँक दी, गैल जलादी पुस्तक पौथी
चीन मुल्क के गर्म सूट थे, कलकत्ते की कचिया धोती
हांगकांग की घड़ी-बैटरी, सिंगापुर के सच्चे मोती
एक भी रह्या नहीं, डाकुआं कै दया नहीं, चोर घणे थे बदकार,
लाला टूट लिया...
बढ़िया बाजा बैण्ड कोडियन, जर्मन तै मंगाया था
एटोमैटिक खास कैमरा, बड़ी मुश्किल तै पाया था
टेलीविजन का असली सीसा, अमरिका तै आया था
साच बताऊं, उन चीजां म्हं पूरा नामा लाया था
दूर की निसानी, बैंजू जापानी, घणे सुरिले जिसके तार...
ताला टूट लिया...
बड़े-बड़े मुल्कों म्हं घूमे, कहीं भी चोरी हुई नहीं
अमरिका, अफ्रीका म्हं भी, हांगाजोरी हुई नहीं
तेरे राज के बिना कदे गुम, थैली, बोरी हुई नहीं
जिसी हुई याड़ै, किते हरामखोरी हुई नहीं
‘दयाचन्द’ गा र्हा सै, सही समझारा सै, यो मुलक घणा सै डाकेमार
ताला टूट लिया...