तुम उनकी इज्जत करियो / दयाचंद मायना
तुम उनकी इज्जत करियो, वो तुम्हारी करेगा
इस मन मन्दिर मैं पूजा, पुजारी करैगा...टेक
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई, पंडित सैयद शेख है
भोली जनता न्यू ना जाणै, ईश्वर सबका एक है
एक भेख है, रंग अनेक है
सबका सहारा दिल का प्यारा बली टेक है
उसी के जुम्मे रेख-देख है, गिणती सारी करैगा...
एक जगह से आए हैं, एक जगह पे है जाणा
राजा से रैयत तक, सबका एक ठिकाणा
बालक याणा, बूढ़ा स्याणा, रंग एक है, ढंग एक है, एक ही बाणा
एक जगह पै भोजन खाणा, यज्ञ भण्डारी करैगा...
थोड़ी कीमत सस्ता सौदा, राम-रटण म्हं मजा है
आवागमन दुखों से मुक्ति जिसनै उसको भजा है
जीभ गजा है, उसी की मजा है
याद शुरू की, भगत धु्रव की शिखर धजा है
उनकी खातिर डबल सजा है, जो गद्दारी करैगा...
कह ‘दयाचन्द’ वही एक है, देवों में देव महादेवा
कण कीड़ी नै, मण हाथी नै, सबका पार करै खेवा
उध-सुध लेवा, पानी पिलेवा
दिल नै डाटै, सबनै बांटै, सत्संग की मेवा
आए हुए जनों की सेवा, बण प्रचारी करैगा...