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तेरा चेहरा सुब्ह का तारा लगता है / 'कैफ़' भोपाली

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तेरा चेहरा सुब्ह का तारा लगता है
सुब्ह का तारा कितना प्यारा लगता है

तुम से मिल कर इमली मीठी लगती है
तुम से बिछड़ कर शहद भी खारा लगता है

रात हमारे साथ तू जागा करता है
चाँद बता तू कौन हमारा लगता है

किस को खबर ये कितनी कयामत ढाता है
ये लड़का जो इतना बेचारा लगता है

तितली चमन में फूल से लिपटी रहती है
फिर भी चमन में फूल कँवारा लगता है

‘कैफ’ वो कल का ‘कैफ’ कहाँ है आज मियाँ
ये तो कोई वक्त का मारा लगता है