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तेरा ही प्यार मेरे दिल में आ समाया है / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
तेरा ही प्यार मेरे दिल में आ समाया है
ये रात रात नहीं ग़म का मेरे साया है
घिरी जो मन मे घटाएँ हैं तेरी यादों की
इन्हों ने रात पहर दिन बहुत रुलाया है
तेरी नज़र में खजाने थे भरे ख़्वाबों के
जिन्हें सहेज के दिल मेरा जगमगाया है
यही खयाल जो मदहोश बनाते हैं हमे
तेरी जी बज़्म से हम ने उसे चुराया है
मुहब्बतों का कहाँ मोल सब समझते हैं
दिलों को तोड़ के किस ने क़रार पाया है
ये बेरुखी ये परायी सी बेनियाज़ नज़र
कहें क्या उस को कि जिसने हमें मिटाया है
चला भी आ कि बिना हद है इंतज़ार किया
ये इंतज़ार है जिस ने हमें जिलाया है