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थारा हाल गेल का यो बताणा पड़ैगा / अमर सिंह छाछिया

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थारा हाल गेल का यो बताणा पड़ैगा।
भीम राव आदर यो थारा भी करैगा।...टेक

कुएं और जोहड़ां पै बन्दी इन नै लाई थी।
पाणी लेण नै ये कई दूर तै आई थी।
देखै बाट खड़ी उठै ये मरै घणी तिसाई थी।
पकड़ो बरी लागो सारी जद याद वे आई थी।
इस पाणी की खातिर भरणा इनका भी यो पड़ैगा...।

मन्दिर और सवालां म्हं अमरजन्सी इन नै लाई थी।
पूजा-पाठ करण की खातर होकै कठी आई थी।
हट उलटी कित जागी आगै किसनै तैं भकाई थी।
तेरे जिसी आई बोहत सी मरम्मत उनकी कराई थी।
होई बेज्जती उन बीरां की तूं जिन्दा ए मरैगा...।

नऐ लत्ते टूम थामनै पहरण ना देते।
मोड़-बान्ध कै निकासी घोड़ी पै काढण ना देते।
तीज त्यौहार बहू-छोरियां नै खेलण ना देते।
कॉलेज और स्कूलां म्हं भीतर जावण ना देते।
इस रिजर्व सीट म्हं यो हक थारा भी बणैगा...।

इतणी नफरत करै थारै तै न्यारे थामी बिठाये।
जै होई बाल थारे कानी की उठै तै भी ठाये।
पाणी-पिया तो थपड़ाये हाथ किसे लाये।
दिन-भिष्ठ कर कर दिया म्हारा ये सारे चढ़के आये।
हत्या कांड होये अमरसिंह यो आज के भीतर बड़ैगा...