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दस्तकें / प्रेमशंकर रघुवंशी
Kavita Kosh से
दस्तकें देकर
लौट गई वह
दरवाज़ा खोल
इधर-उधर देखा
तो पड़ोसियों ने बताया
ख़ुशबू आई थी शायद
तब तक पालिका की
मच्छर-मार मशीन थरथराती आई
और मुहल्ला-मुहल्ला
धूल-धुआँ छोड़ती
ज़हरीली हवा भर गई !!