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दहकन / लक्ष्मीकान्त मुकुल
Kavita Kosh से
बारिश का अंटका पानी
ढलानों के दरबे में
नदी की छाड़न का
गंदला जमाव
सूखने लगता है धीरे-धीरे
घमाते अंकुर लेते बीज
तोड़ते हैं मौन ऐसे ही मौके पर
जब गुस्से में दहकने लगता हो सूर्य!।