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दाना-पानी देती है सिर्फ यह धरा! / मुकेश निर्विकार
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बेशक,
कितने ही ऊँचे उड़ ले
धरती से
नील-गगन में पंछी
पर-
वापस आयेँगे
इसी धरा पर
फिर-फिर कर
क्योंकि-
आकाश
सिर्फ हवाबाजी कराता है
दाना-पानी देती है
सिर्फ यह धरा!