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दिन को क्यूँकर रात करें / रंजना वर्मा

दिन को क्यूँकर रात करें
सपनों का निर्यात करें

कुछ कमियाँ रह गईं अगर
तो उन पर आघात करें

सहते जाना ठीक नहीं
थोड़ा तो प्रतिघात करें

वक्त गुज़रता जाता है
इस को कुछ सौगात करें

मिला किये नित औरों से
अब तो खुद से बात करें

मंदिर मस्जिद साथ रहें
कुछ ऐसे हालात करें

बहुत अँधेरा रहा यहाँ
आओ नया प्रभात करें