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दिल्ली में पहली बार / योगेंद्र कृष्णा

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(बलात्कार की शिकार उस स्विस महिला के नाम)

गाइड ने मुझे बताया

यह लाल किला है

जहां के प्राचीर से...

मैंने कहा, मैं जानता हूं

अपने देश का अतीत मैं जानता हूं

मुझे वह सब दिखाओ

जो आज की तारीख में घट रहा है

उसने बताया...

मैं दिल्ली की जिस सड़क पर चल रहा हूं

उसका नाम सत्य मार्ग है

आस-पास ही शांति मार्ग

और नीति मार्ग भी है

मैंने कहा

मैं इन रास्तों से होता हुआ

खेल गांव जाना चाहता हूं

उसने बताया, शाम के अंधेरे में

इन रास्तों पर अब कोई चलता नहीं

फिर खेल गांव में क्या रखा है...

मैंने कहा, वहां सीरी फोर्ट स्टेडियम है

जहां अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव चल रहा है

और जहां के हर खेल का स्तर अंतरराष्ट्रीय है

यहां तक कि हाल में

स्टेडियम के बाहर खेले गए

उस खेल का स्तर भी

जिसे लोगों ने पता नहीं क्यों `बलात्कार´ कह दिया

गाइड ने मुझे गौर से देखा

ऐसे जैसे किसी पागल के चक्कर में पड़ गया हो

मैंने भी उसे पहली बार ठीक से देखा

इंडिया गेट, लाल किले और देसी लोकतंत्र का

ऐतिहासिक आतंक उसकी आंखों में

साफ नजर आता था

और उसकी पूरी देह

खंडहर होते इतिहास की भव्यता संभाले थी

जिसके मलबे से चुपके-से झांक जाती थी


स्टेडियम के बाहर खड़ी

अपनी ही कार में बलात्कृत

स्विस महिला की आंखें

तंदूर के भीतर टुकड़ों में जली नारी देह

खूनी दरवाजा और जेसिका लाल...

मैंने कहा

मैं जनपथ की उन सड़कों से

पैदल गुजरना चाहता हूं

जो हमारे देश की संसद तक जाती है

उसने बताया

इन सड़कों पर अब

केवल मोटरगाड़ियां चलती हैं

आप संसद तक जाना चाहें

तो लाल बत्ती गाड़ी में जा सकते हैं

जनपथ हो या नीति मार्ग

या कि सत्य मार्ग और शांति मार्ग

उन पर पैदल चल कर

अब कोई संसद नहीं जाता

उसने शायद ठीक कहा था

मुझे याद आया

कुछ ही दिन पहले

हमलावर भी इन्हीं मार्गों से

लाल बत्ती गाड़ी में ही तो गए थे...