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दिल चीख पड़ा दिल में मेरे आग लगा दी / मनु भारद्वाज

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दिल चीख पड़ा दिल में मेरे आग लगा दी
ये किसने मेरे दर्द को आवाज़ लगा दी

आँखों से नींद उड़ गई, दिल से सुकूँ गया
तुमने तो जिंदगी में मेरी आग लगा दी

साक़ी की निगाहों का ता'असुर था न रुका
हालाके अहले-होश ने भी मुझको सदा दी

दीवाने से जो -" पूछा बता जिंदगी है क्या ?"
उसने शमा जलाई और हंसके बुझा दी

होकर करीब कितने रहे दूर-दूर आप
फुरक़त की मुझे आपने बेवजह सजा दी

आँखों ने कह दिया है 'मनु' तेरे दिल का हाल
जो बात छुपानी थी वही बात बता दी