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दिव्य ज्योति-मण्डल उद्भासित किरणें / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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(राग सारंग-ताल त्रिताल)
दिव्य ज्योति-मण्डल उद्भासित किरणें छिटक रहीं सब ओर।
द्वादश दल शुभ कमल उसीमें शोभित श्री-सुषमा, सिरमौर॥
कमल मध्य सुविराजित सुर-ऋञ्षि-मुनि-आराध्य विष्णु भगवान्।
चिदानन्दमय नीलमेघ-तन पीताबरधर वर द्युतिमान॥
दिव्य मुकुट, कुण्डल, कौस्तुभमणि, मुक्त-रत्न सुशोभित हार।
चक्र सुदर्शन, गदा, शङ्ख, सरसिज-भूषित विशाल भुज चार॥
मधुर हास, मुख-कमल मनोहर, नेत्र सुधावर्षी सुविशाल।
जयति-जयति जय अखिल भुवनपति, तिलक तिमिर-हर भ्राजत भाल॥