दीनदयाल कृपाल गुपाल बिना तुम संकट कौन हरेंगे।
धान लियौ बहुरे ने सभी कहौ कैसे बिचारेन के पेट भरेंगे।
‘नाथ’ किसान कौ मान बढ़ै और ज्ञान चढ़ै जब का न करेंगे।
काहे कौ सोच करौ मनमें अब भारत के दिन फेर फिरेंगे॥
दीनदयाल कृपाल गुपाल बिना तुम संकट कौन हरेंगे।
धान लियौ बहुरे ने सभी कहौ कैसे बिचारेन के पेट भरेंगे।
‘नाथ’ किसान कौ मान बढ़ै और ज्ञान चढ़ै जब का न करेंगे।
काहे कौ सोच करौ मनमें अब भारत के दिन फेर फिरेंगे॥