भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दीवार पर धब्बे / निकानोर पार्रा / उज्ज्वल भट्टाचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इससे पहले कि आख़िरी रात हम पर टूट पड़े
दीवार पर धब्बों की ओर नज़र डाली जाए :
कुछ एक पौधों जैसे दिखते हैं
कुछ दूसरे मिथकों के जीवों की तरह ।

उकाब के सिर वाले घोड़े,
ड्रैगन,
आग झेलने वाली छिपकली ।

लेकिन परमाणु विस्फोट जैसे दिखने वाले
उनमें से सबसे अजीब हैं ।

दीवार के पर्दे पर
आत्मा को वह दिखता है जिसे शरीर नहीं देख सकता :
घुटने टेके इनसान
बच्चे को गोद में लिए माँ
घुड़सवार की मूर्ति
जजमान को उठाते हुए पुरोहित :

एक-दूसरे से उलझे हुए यौनाँग ।

लेकिन इन सारे धब्बों में सबसे अजीब
बिला शक़
वे हैं
जो परमाणु विस्फोट जैसे दिखते हैं ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य