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दुनिया तरक्की करगी रै थामी उरै ऐ रहगे / अमर सिंह छाछिया

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दुनिया तरक्की करगी रै थामी उरै ऐ रहगे।
थारी एकता हो कोन्या वे कांशीराम भी कहगे।...टेक

चिरीमीरी लगाकै नै के धन नै लुटैगा।
झूठ बोल कै तैं समाज की जड़ नै काटैगा।
आपस की बहस थारी तै तैं न्यारा पाटैगा।
घर का नाश दुनिया की हांसी यो देश थूकैगा।
इस फूट बिमारी तै पासे इन के पड़गे...

बुरी दशा हाल थारा यो देख्या ना जान्दा।
1600 के भा गये गेहूं या लिया ना जान्दा।
बिन रोजगार ना होवै गुजारा कोए पावै ना धन्धा।
थारी किसे नै जरूरत नहीं सब मशीनां तै होन्दा।
मांगै उधारा ना चालै चारा थारे करतब आगै आगे...

बोले पाणी म्हं थाम बिक जाओ दारू इन नै पियाई।
थारे वोट, राज इनका थामनै ए बणाई।
इन गरीबां के होए कांड पड़ी लाश ये पाई।
आपस की फूट थारी तै इन नै चोट चलाई।
ईंट का जवाब हो सै पत्थर थामी जिन्दे मरगे...

थारा हाल देख कै वा मायावती चकरागी।
इन के दुख नै दूर करूंगी जै सरकार मेरी आगी।
सब नै द्यूं रोजगार ठाठ तै जै चाबी मनैं पागी।
इस भारत का बदलूं नक्शा जै हुकूमत मेरी आगी।
अमरसिंह छाछिया तेरा जुड़ा समाज कुछ पव्वे म्हं फैगे