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देखो एक मदारी आया / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

देखो एक मदारी आया ।
अपने संग लाठी भी लाया ।।

डम-डम डमरू बजा रहा है ।
भालू, बन्दर नचा रहा है ।।

लम्बे काले बालों वाला ।
भालू का अन्दाज़ निराला ।।

खेल अनोखे दिखलाता है ।
बच्चों के मन को भाता है ।।

वानर है कितना शैतान ।
पकड़ रहा भालू के कान ।।

यह अपनी धुन में ऐंठा है ।
भालू के ऊपर बैठा है ।।

लिए कटोरा पेट दिखाता ।
माँग-माँग कर पैसे लाता ।।