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देर से जाना उसे वो आदमी मक्कार हूँ / डी. एम. मिश्र

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देर से जाना उसे वो आदमी मक्कार है
क़ौम के ही बीच में वो क़ौम का गद्दार है।

जु़ल्म का म़ंजर जो देखा हमने भी ये तय किया
इस सभा में न्याय पर कोई बहस बेकार है।

हाथ ढीले , पाँव ढीले हाल उसका देखिये
वो किसी को क्या मदद देगा जो खु़द लाचार है।

लोग कुछ घायल पडे़ , कुछ हैं क़तारों मे खडे
हर भला इन्सान इस माहौल में बीमार है।

चंद लोगों की ही क़िस्मत में यहाँ सुखभेाग है
सिर्फ़ कहने के लिए हर आदमी हक़दार है।