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देव-दानवों ने मथा मिलकर उदधि अपार / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग ईमन)

देव-दानवोंने मथा मिलकर उदधि अपार।
 निकला विष, जलने लगा उससे सब संसार॥
 विकल देख जग, पी गये शंकर करुणागार।
 मन्थन करने लगे फिर, कर सब जय-जयकार॥
 निकले रत्न विविध, हु‌आ श्रीका आविर्भाव।
 दिव्य वसन-भूषण सजे, मनमें अतिशय चाव॥
 जा पहुँचीं हरिके निकट, हाथ लिये वरमाल।
 वरा नित्य पतिको पुनः लक्ष्मी हु‌ई निहाल॥