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देश के हालात मेरे बद से बदतर हो गये / डी. एम. मिश्र

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देश के हालात मेरे बद से बदतर हो गये
जो मवाली,चोर,डाकू थे मिनिस्टर हो गये

हर जगह बस झूठ वालों की ही तूती बोलती
जो सही हैं और सच्चे वो निरुत्तर हो गये

देश भर के ठग औ ढेांगी नित तरक्की कर रहे
देखते ही देखते कुछ संत ईश्वर हो गये

इक जगह बैठे रहे फिर भी वो मालामाल हैं
कितनी नदियों को निगलकर वो समंदर हो गये

किस तरह औक़ात अपनी भूल जाते लोग है
साथ तूफ़ां का मिला तिनके बवंडर हो गये

अब तो अपने बाप को भी वो नहीं पहचानते
जब से पैसा आ गया वो सबके ऊपर हो गये