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धन जन परिवार क्षण में सभे उजार / भवप्रीतानन्द ओझा
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झूमर (भदवारी निर्गुण)
धन जन परिवार क्षण में सभे उजार
दारुण संसार
छीरे दारुण संसार
तारा सें उचटै जी हमार रे, दारुण संसार
माटी लागी काटा-काटी नारी लागी लाठा-लाठी
दारुण संसार
पेट लागी कत्तै पापाचार रे, दारुण संसार
रोग शोक अपमानि नारी सुत धन हानि
दारुण संसार
वरसे बरछी जे हजार रे, दारुण संसार
काहुँ हाँसी काहुँ हाहाकार रे, दारुण संसार
भवप्रीता कहे सार, एकहि चैतन्याधार
दारुण संसार
आरो सभे स्वपन आकार रे, दारुण संसार
तोर माया ‘बेड़ी कारागार’ रे, दारुण संसार